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चीन करोड़ों लोगों का डीएनए सैंपल जुटा रहा:जिनपिंग सरकार का फोकस अब जेनेटिक सर्विलांस पर, विरोध में उठने वाली हर आवाज दबाने की तैयारी

सामने आए सबूत, स्कूली बच्चों तक का ब्लड सैंपल इकट्‌ठा किया जा रहा साढ़े तीन करोड़ से लेकर सात करोड़ लोगों का डीएनए जुटाने का टारगेट

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डीएनए सैंपल सरकार का एक बड़ा हथियार बनेंगे। इनके जरिए चीनी प्रशासन आसानी से लोगों को ट्रैक कर सकेगा। हालांकि, चीन सरकार ने ऐसे किसी प्रोग्राम से इनकार किया है। – फाइल फोटो

चीन की सरकार देशभर के करोड़ों लोगों के डीएनए सैंपल इकट्‌ठा कर रही है। डीएनए की मदद से एक जेनेटिक डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। इसके पीछे जिनपिंग सरकार की मंशा अपने ही लोगों की निगरानी करने की है।

टोरंटो यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के पीएचडी स्टूडेंट एमिल डर्क और चीन के जातीय मुद्दों के एक्सपर्ट जेम्स लिबॉल्ट ने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक आर्टिकल लिखा है। उन्होंने बताया कि चीन में सरकार से असंतोष जताना सबसे बड़ा अपराध है। पुलिस का सबसे जरूरी काम इसी असंतोष को दबाना है। इस वजह से डीएनए सैंपल इकट्‌ठा कर लोगों की निगरानी करने की साजिश की जा रही है।

उनके मुताबिक अधिकारियों का टारगेट साढ़े तीन करोड़ से लेकर सात करोड़ लोगों का डीएनए सैंपल जुटाना है। ये सैंपल सरकार का एक बड़ा हथियार बनेंगे। इनके जरिए चीनी प्रशासन आसानी से लोगों को ट्रैक कर सकेगा। हालांकि, चीन सरकार ने ऐसे किसी प्रोग्राम से इनकार किया है।

ऑनलाइन मौजूद सबूत दिखाए
लेखकों ने चीन के इस प्रोग्राम का बड़े पैमाने पर खुलासा किया है। उन्होंने इसके सबूत भी दिखाए हैं। चीन के सिचुआन प्रांत की सरकारी वेबसाइट पर 16 जून की एक रिपोर्ट मिली है। इसमें सिचुआन की राजधानी चेंगदू में पब्लिक सिक्युरिटी ब्यूरो की ओर से डीएनए डाटाबेस तैयार करने की जानकारी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह 17 पब्लिक सिक्योरिटी ऑफिसों ने शहर के छह लाख पुरुषों का डीएनए सैंपल जुटाया। इसके साथ ही स्कूली बच्चों का ब्लड सैंपल भी इकट्‌ठा किया जा रहा है। यह यूएन के राइट्स ऑफ द चाइल्ड का सीधा उल्लंघन है।

पूरे देश से जुटाए जा रहे डीएनए सैंपल
आर्टिकल के मुताबिक चीन का यह प्रोग्राम केवल शिनजियांग और तिब्बत तक ही सीमित नहीं है। पूरे देश से लोगों का डीएनए जुटाया जा रहा है। दक्षिण पश्चिम में युन्नान और गुइझोऊ, केंद्र के हुनान, पूर्व के शैनडोंग और जियांग्सु, उत्तर में मंगोलिया के स्वायत्त क्षेत्र में यह प्रोग्राम बड़े पैमाने पर चलाया जा रहा है।

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