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राम पर ओली विवाद / राम पर नेपाल का दावा बेदम, 2000 साल से ज्यादा पुरानी वाल्मीकि रामायण और हजार साल से ज्यादा पुराने स्कंद पुराण में राम की जन्मभूमि सरयू के किनारे बसी अयोध्या

सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने अयोध्या को ही राम की जन्मभूमि माना है स्कंद पुराण के दो श्लोकों में जन्म भूमि की सबसे सटीक लोकेशन है, नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के भगवान राम के नेपाली होने के बयान ने राम के नाम पर राजनीति को फिर दी हवा

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नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के भगवान राम के नेपाली होने के बयान ने राम के नाम पर राजनीति को फिर हवा दी है। हकीकत ये है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, जो उत्तर प्रदेश में है। नेपाल के पीएम ओली का दावा यूं भी बेदम ही है, क्योंकि नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के फैसले में ये स्वीकार किया था कि अयोध्या ही भगवान राम का जन्म स्थान है।

इस फैसले में पुरातत्वविदों की रिपोर्ट्स के साथ ही वाल्मीकि रामायण, स्कंद पुराण, पद्मपुराण, महाभारत और रामचरितमानस जैसे ग्रंथों का भी रिफरेंस लिया गया है। वाल्मीकि रामायण में अयोध्या की जो लोकेशन है, वो सरयू नदी के पास है। सरयू नदी का जिक्र रामायण में कई बार आता है। कई ग्रंथ हैं, कई श्लोक हैं जो ये बताते हैं कि राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, और ये अयोध्या भारत में ही मौजूद है।

  • नेपाल और राम का रिश्ता

ऐसा नहीं है कि नेपाल से राम का कोई रिश्ता ही नहीं है। नेपाल के जनकपुर को राम का ससुराल माना जाता है। यहां आज भी राजा जनक का महल है। जिसमें सीता स्वयंवर के दौरान के दृश्य जीवित हैं। कुछ टुकड़े उस धनुष के भी यहां संग्रहित किए हुए हैं, जो सीता स्वयंवर के दौरान राम ने तोड़ा था। इस स्थान को लेकर नेपाल की आस्था अगाध है। राम नेपाल के दामाद हैं। लेकिन, बेटे नहीं। क्योंकि वाल्मीकि रामायण में राम बारात का जिस रास्ते का वर्णन है, वो जनकपुर से मगध (वर्तमान बिहार) के रास्ते अवध (अयोध्या) तक आता है।

  • 7वीं शताब्दी के ग्रंथ स्कंद पुराण में अयोध्या

वाल्मीकि रामायण ही नहीं, बल्कि स्कंद पुराण में भी राम के जन्म स्थान की जो जगह लिखी गई है, वो अयोध्या ही है। इस ग्रंथ के बारे पुरातत्वविदों और इतिहासकारों का मत है कि ये 7वीं से 9वीं शताब्दी के बीच लिखा गया है। स्कंद पुराण के अयोध्या माहत्म्य के वैष्णवकांड के 18-19वें श्लोक लिखा है कि वशिष्ठ आश्रम से उत्तर और लोमश आश्रम के पश्चिम में और विघ्नेश्वर से पूर्व में वो भूमि है जहां राम का जन्म हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने पुरातत्वविदों और संतों से इसकी जांच कराई। जो सही पाई गई। संतों में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उनके नाम का कई बार जिक्र किया गया है।

  • वाल्मीकि रामायण ईसा से 300 से 200 साल पहले की

वाल्मीकि रामायण भगवान राम के जीवन का सबसे मुख्य और पुराना ग्रंथ है। इसका रचनाकाल ईसा से 300 से 200 साल पहले का माना गया है। इसे महाभारत और श्रीमद्भागवत के भी पहले का माना जाता है। वाल्मीकि रामायण के बालकांड के 18वें अध्याय के 8 से 12 नंबर तक के श्लोक रामजन्म और अयोध्या के बारे में हैं। 10वें श्लोक को सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में रिफरेंस के तौर पर लिया है।

  • सरयू नदी की लोकेशन और अयोध्या का निर्माण 

उज्जैन के संस्कृतविद् डॉ. ऋषि तिवारी के मुताबिक, अयोध्या नगर का पूरा वर्णन मिलता है। सरयू को पुण्य देने वाली नदी माना गया है। इसी नदी के एक हिस्से को घाघरा नदी के रूप में भी जाना जाता है। वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट उल्लेख है कि अयोध्या सरयू के किनारे बसी है।

  • रामचरितमानस में भी राम जन्म अयोध्या में 

तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस में भी राम की जन्मभूमि अयोध्या बताई गई है। रावण से त्रस्त देवता भगवान ब्रह्मा के पास सहायता के लिए जाते हैं और भगवान उन्हें आश्वासन देते हैं। ब्रह्मा की स्तुति से प्रसन्न भगवान विष्णु आकाशवाणी के जरिए देवताओं और पृथ्वी को धीरज बंधाते हुए आश्वासन देते हैं कि मैं राम के रूप में अवतार लूंगा। बालकांड की 186वें दोहे के बाद की चौपाइयों में इसका उल्लेख है।

  • बालकांड के 186वें दोहे के बाद की चौपाइयां

जनि डरपहु मुनि सिद्ध सुरेसा। तुम्हहि लागि धरिहउँ नर बेसा।।
अंसन्ह सहित मनुज अवतारा। लेहउँ दिनकर बंस उदारा।।
कस्यप अदिति महातप कीन्हा। तिन्ह कहुं मैं पूरब बर दीन्हा।।
ते दसरथ कौसल्या रूपा। कोसलपुरीं प्रगट नर भूपा।।
तिन्ह कें गृह अवतरिहउँ जाई। रघुकुल तिलक सो चारिउ भाई।।
नारद बचन सत्य सब करिहउँ। परम सक्ति समेत अवतरिहउँ।

चौपाइयों का अर्थ – हे मुनि, सिद्ध और देवताओं के स्वामियों, डरो मत। तुम्हारे लिए मैं मनुष्य का रूप धारण करूंगा और उदार (पवित्र) सूर्यवंश में अंशों सहित मनुष्य का अवतार लूंगा। कश्यप और अदिति ने भारी तप किया था। मैं पहले ही उनको वर दे चुका हूं। वे ही दशरथ और कौसल्या के रूप में मनुष्यों के राजा होकर श्रीअयोध्यापुरी में प्रकट हुए हैं। उन्हीं के घर जाकर मैं रघुकुल के चार श्रेष्ठ भाइयों के रूप में अतार लूंगा। नारद के सब वचन मैं सत्य करूंगा और अपनी पराशक्ति के सहित अवतार लूंगा।

 

आए जानते है वो जगह कौन सी है, जिसे नेपाल के पीएम ओली ने बताया श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या

कालापानी, लिम्प्याधुरा और लिपुलेख को Nepal Map में शामिल करने के बाद नेपाल ने अब भारत में Hindutva की आस्था के प्रतीक Lord Ram पर दावा ठोका है. राम और अयोध्या को नेपाली बताने के क्या तर्क दिए गए? भारत ने इसका खंडन कैसे किया और जानिए कि क्या Nepal PM ने इस तरह का बयान China के इशारे पर दिया.

 

भारत के क्षेत्रों को अपने नक्शे में शामिल करने के बाद नेपाल ने अब भारत (Nepal Against India) के बड़े धार्मिक और हिंदुत्व प्रतीक भगवान राम पर अपना अधिकार जताने की कोशिश की है. सीमाओं के अतिक्रमण के बाद सांस्कृतिक अतिक्रमण (Cultural Encroachment) का आरोप भारत पर लगाते हुए नेपाल Communist Party के नेता और प्रधानमंत्री KP Oli ने दावा किया कि राम वास्तव में नेपाल में पैदा हुए थे और असली अयोध्या भी नेपाल में ही है.
हालांकि भाजपा और भारत के धार्मिक संगठनों ने ओली के इस बयान को पूरी तरह से खारिज कर दिया. फिर भी वाल्मीकि रामायण का नेपाली में अनुवाद करने वाले कवि भानुभक्त की जयंती पर हुए कार्यक्रम में ओली ने यह कहकर खलबली तो मचा ही दी है कि नेपाल के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है और सांस्कृतिक रूप से उसे छिन्न भिन्न किया गया है. उस जग​ह के बारे में जानिए, जिसे ​ओली असली अयोध्या बता रहे हैं.

भगवान राम पर ओली के विवादित बयान पर ...
क्या है ओली का दावा?
ओली ने अपने वक्तव्य में राम के नेपाली होने और असली अयोध्या नेपाल में होने का दावा करते हुए बताया कि बीरगंज के पश्चिम में थोरी स्थान पर अयोध्या नाम का एक गांव है, जो असली अयोध्या है. लेकिन, भारत उत्तर प्रदेश के नगर को राम की जन्मभूमि के रूप में बताता रहा है. ओली के मुताबिक नेपाल के ही जनकपुर की सीता का विवाह जिस राम से हुआ था, वो नेपाल की अयोध्या के ही थे.

दावे के पीछे नेपाली पीएम के तर्क

ओली ने अपने दावे को मज़बूत करने के लिए कुछ तर्क प्रस्तुत किए, जिन्हें समझा जाना चाहिए.* भारत की अयोध्या को लेकर कई तरह के विवाद हैं, लेकिन नेपाल की अयोध्या को लेकर कोई विवाद नहीं है.* अगर जनकपुर नेपाल में था और अयोध्या मध्य उत्तर प्रदेश में, तो कैसे किसी राजकुमार को पता चला होगा कि कहीं एक राजकुमारी विवाह योग्य है जबकि संचार सुविधाएं तब थी नहीं.* हो सकता है कि राम और सीता की शादी नेपाल में हुई हो क्योंकि दोनों नेपाल में ही आसपास के क्षेत्रों में थे.* पंडित ने राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ नेपाल स्थित रिदि में किया था इसलिए राम नेपाल की अयोध्या में ही जन्मे थे.* दशरथ नेपाल के राजा थे इसलिए भी राम के नेपाल के होने में कोई संदेह नहीं है.

क्या है बीरगंज की लोकेशन

इस दावे में जिस बीरगंज का ज़िक्र ओली ने किया, वह वास्तव में बिहार से जुड़ने वाली नेपाल सीमा के पास स्थित है. गेटवे ऑफ नेपाल के नाम से मशहूर जो बॉर्डर बिहार के रक्सौल से जुड़ता है, वह बीरगंज की ही सीमा है. ओली ने जिस थोरी नाम की जगह का ज़िक्र किया है, वह भी बिहार बॉर्डर से नेपाल के लिए एक क्रॉसिंग पर स्थित है. पारसा ज़िले में थोरी नाम के स्थान से बिहार के पश्चिम चंपारण ज़िले के भिखना की तरफ से प्रवेश किया जा सकता है.

वास्तव में नेपाल की है असली अयोध्या?

काठमांडू बेस्ड नेपाल के एक पोर्टल रिपब्लिका के नागरिक नेटवर्क ने एक नक्शे की तस्वीर प्रकाशित करते हुए ओली के दावे को परखने की कोशिश की है. इस तस्वीर में प्राचीन भारत के काशी, मगध, पांचाल के बीच अयोध्या नामक स्थान को नेपाल सीमा के पास दर्शाया गया है. साथ ही, इन्हीं स्थानों के बीच सरयू नदी के प्रवाह और अयोध्या के पास मिथिला को भी इस नक्शे में बताया गया है.इस नक्शे में जहां अयोध्या और मिथिला का ज़िक्र किया जा रहा है, लगभग उसी जगह वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या की लोकेशन मिलती है. ओली के दावे वाली अयोध्या को बिहार बॉर्डर के पास होना चाहिए था. साथ ही, इस नक्शे के किसी स्रोत का ज़िक्र रिपोर्ट में नहीं किया गया है इसलिए इसकी प्रामाणिकता संदिग्ध है.

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MyRepublica.NagarikNetwork.Com ने यह नक्शा प्रकाशित किया लेकिन इसका स्रोत नहीं बताया.

संगठनों ने ओली के दावे का किया जोरदार खंडn

ओली के बयान को भारत में भाजपा के नेताओं के साथ ही कुछ प्रमुख धार्मिक संगठनों ने नकारा है. विश्व हिंदू परिषद के अम्बरीश कुमार ने कहा ‘धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि अयोध्या राम जन्मभूमि है और अयोध्या वही है, जहां सरयू बहती है. ओली का दिमाग ठिकाने नहीं है.’वहीं, सरयू नित्य आरती के महंत शशिकांत दास ने कहा ‘ओली ने इस तरह का बयान चीन के इशारे पर दिया है लेकिन भारत राम और अयोध्या के अपने विश्वास पर अडिग है.’ महंत ने यह भी कहा कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करने संबंधी पत्र भी लिख रहे हैं.

राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास ने भी ओली के बयान को खारिज करते हुए कहा ‘राम चक्रवर्ती राजा थे और त्रेतायुग में भारत और नेपाल के घनिष्ठ संबंध थे. आज भी, अयोध्या से बारात के प्रतीक में एक यात्रा जनकपुर जाती है. यह सदियों की परंपरा है, जो जारी है. प्राचीन प्रथाओं और सनातनी व्यवस्थाओं को चुनौती देना ठीक नहीं. राम के भक्त इस तरह के अनर्गल आरोप बर्दाश्त नहीं करेंगे.

बहरहाल, इस मामले में अभी ग्रंथों और दस्तावेज़ों के हवाले से पूरा सच सामने आना बाकी है कि नेपाल में क्या कोई अयोध्या नामक स्थान था? था तो उसका क्या इतिहास रहा और भगवान राम का उससे क्या कोई वास्ता रहा? इस तरह की रिसर्च के बाद ही ओली के दावे को पूरी तरह सच्चा या झूठा करार दिया जाना तर्कसंगत होगा.

 

 

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