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लंपी स्किन के रोग से पशु पालकों में शिकन की लकीरें, मालवा जोन की तकरीबन 200 गौशालाओं में 5 लाख गौवंश, ना दवा, ना इलाज

इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवाएं लंपी स्किन रोग पर कारगर: डॉ हरविंदर

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बठिंडा, 6 अगस्त – लंपी स्किन रोग को लेकर पशु पालकों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। मालवा की तकरीबन 200 छोटी बड़ी गौशालाओं में 5 लाख गौवंश है। इनको ना दवा, ना इलाज मिल रहा है। बठिंडा जिले में पिछले एक सप्ताह से पशुओं में लंपी स्किन रोग की बढ़ोत्तरी हुई हैं। जिले में इस रोग से पीड़ित पशुओं की संख्या करीब 1300 है और संक्रमण की चपेट में आने से करीब 25 पशुओं की मौत हो चुकी है। लंपी रोग की पुष्टि 4 जुलाई को बठिंडा और फाजिल्का से शुरू हुई। परंतु वेटरनरी विभाग के पास इस रोग की रोकथाम के लिए पुख्ता प्रबंध न होने के कारण संक्रमण तेजी से फैल रहा है और हालात इस समय हैं कि राज्य के करीब-करीब हर जिले में लंपी स्किन की समस्या है।वर्तमान में सबसे अधिक डर जिला बठिंडा में मौजूद छोटी-बड़ी करीब 40 से 45 गौशाला हैं, जहां वर्तमान में करीब 50 हजार से अधिक गौवंश रखा हुआ है। अगर वहां यह बीमारी फैल गई तो हालातों पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा। वर्तमान स्थिति यह है कि पशु-पालन विभाग के पास हाल फिलहाल एंटी-बॉयोटिक की डोज के अलावा इस बीमारी का सटीक इलाज नहीं है तथा राज्य सरकार की गंभीरता इसी बात से समझ आ जाती है कि हर जिले को इस बीमारी के इलाज को मात्र 3 लाख रुपये का फंड जारी किया गया है, जिसमें दवा कहां से व कितने की आएगी, इसकी कोई अपडेट विभाग के पास भी नहीं है। गौरतलब है कि बठिंडा गोनियाना रोड पर काफी बढ़ी संख्या में गौधन मृत पाया है, जिसके पीछे इस बीमारी को कारण मानने के अलावा अन्य कारणों से भी जांच की जा रही है।वहीं अगर शहर की सड़कों पर लावारिश घूम रहे गौवंश की बात की जाए तो इनकी संख्या भी कई हजार तक हो सकती है। दिनभर शहर की गलियों में घूमते गौवंश से इस बीमारी के घर के अन्य पालतू जानवरों में फैलने के खतरे से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।गौशालाओं में ना विभाग की टीम पहुंची न कोई दवा, इलाज भी नहींजिले में गौशालाओं में मैनेजमेंट खुद प्रबंध कर रही है, जिसमें दवाएं खरीदने के अलावा बाकी तैयारियों पर ध्यान दिया जा रहा है। सबसे जरूरी बीमारी की रोकथाम है, लेकिन पशु पालन विभाग के पास इस बीमारी का स्टीक इलाज नहीं होने से पशु मर रहे हैं। खुद विभाग द्वारा जारी की गई सरकारी नोटिफिकेशन में बचाव व परहेज जरूर बताए गए हैं, लेकिन दवा की इसमें कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में गौशालाएं अपनी स्तर पर इलाज करवाने को मजबूर हैं, लेकिन इतने बड़े सिस्टम की बीमारी से संभाल ने उनकी रातों की नींद उड़ा दी है।लंबी स्किन बीमारी के कारण दुधारु पशुओं का दूध सूख जाता है और खड़े होने तक की क्षमता नहीं रहती।गौशालाओं में अभी तक नहीं पहुंची विभाग की टीम, खुद करवा रहे इलाजगौशालाओं में अभी तक पशुओं का कोई इलाज पशु-पालन विभाग की टीम ने शुरू नहीं किया है। अकेले लंपी स्किन ही नहीं, लंगड़ा बुखार व पशुओं के फेफड़ों में भी इंफेक्शन सामने आ रही है, जिसमें स इसे सरकार को डिजास्टर मैनेजमेंट को कॉल देनी चाहिए। हम पशुओं को एलोपैथी के साथ हैम्योपैथी दवा भी दे रहे हैं ताकि गौवंश ठीक रहे।

साधु राम कुसला, महासचिव, श्री सिरकी बाजार गौशाला, बठिंडा

लगातार बढ़ रहा लंपी स्किन, खतरे में गौशालाओं का हजारों गौवंश
जिला बठिंडा में अभी तक आधिकारिक तौर पर आठ पशुओं की मौत की पुष्टी हुई है, लेकिन अनाधिकारिक तरीके से देखें तो यह आंकड़ा काफी बढ़ा हो सकता है। विभाग ने जिले में 51 डाक्टरों की टीम भले ही तैयार कर दी हो, लेकिन ग्राउंड पर हो रहे हालातों को कहीं न कहीं हलके में लिया जा रहा है। लगातार इस बीमारी के केस बढ़ने के चलते पशुपालन विभाग बेहद चिंतित नजर आ रहा है। इसका कारण विभाग के पास इस बीमारी की कोई स्टीक दवा नहीं होना है। जिले में संक्रमित पशुओं की संख्या 2500 से अधिक हो सकती है।

*इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवाएं लंपी स्किन रोग पर कारगर: डॉ हरविंदर*

इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की दवाओं के देश में अग्रणी कंपनी अलकेमी के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. प्रो. हरविंदर सिंह कहते हैं कि उनकी कंपनी ने इलेक्ट्रो होम्योपैथी में पशुओं में हो रहे लंपी स्किन रोग के रिसर्च प्रोडेक्ट बनाए हैं। पूरे देश में इनकी सप्लाई की जा रही है। इनसे लंपी स्किन रोग पर काफी सार्थक असर दिख रहा है। डॉ हरविंदर अलकेमी जो इलेक्ट्रो होम्योपैथी फाउंडेशन के नेशनल वाईस प्रेसिडेंट है, ने दावा किया हैं कि इम्युनो वैट केयर और डरमा वैट केयर दो ऐसे प्रोडेक्ट है जो पशुओं के लंपी स्किन रोग में असरदार है।

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