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सिद्धू का इस्तीफा :नवजोत सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, बोले- पंजाब के भविष्य से समझौता नहीं कर सकता

सिद्धू के इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी:पंजाब में कांग्रेस को कैप्टन की तरह चलाना चाहते थे नवजोत, अफसरों-मंत्रियों और मंत्रालय के बंटवारे में मात खाते गए

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पंजाब कांग्रेस के भीतर नया सियासी भूचाल आया है। प्रदेश कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सोनिया गांधी को इस्तीफा भेजा है। जिसमें लिखा है कि वे पंजाब के भविष्य और लोगों के भले से समझौता नहीं कर सकते। समझौता करने से इंसान का चरित्र खत्म होता है। मैं कांग्रेस के लिए काम करता रहूंगा। सिद्धू को 18 जुलाई को ही पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।

इस बारे में सिद्धू के मीडिया एडवाइजर सुरिंदर डल्ला ने कहा कि नवजोत सिद्धू सैद्धांतिक राजनीति कर रहे हैं। नई सरकार ने कांग्रेस हाईकमान के नए 18 सूत्रीय फार्मूले पर कोई काम नहीं किया। पिछले 5 दिनों में नई सरकार में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला।

उधर कैप्टन ने भी ट्वीट किया है कि मैंने पहले ही कहा था कि सिद्धू की मानसिक स्थिति स्थिर नहीं है।

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष को भेजा गया नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष को भेजा गया नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा।

वहीं,इस्तीफे की वजह सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि सिद्धू उन्हें CM नहीं बनाए जाने से नाराज चल रहे थे। इसके बाद मंत्री पद और मंत्रालय बंटवारे में सिद्धू की नहीं चली। मंगलवार को मंत्रालय बांटे गए तो गृह विभाग सुखजिंदर रंधावा को दे दिया गया। जिसके बाद दोपहर में सिद्धू का इस्तीफा सामने आया है।

नवजोत सिंह सिद्धू की अगुवाई में पंजाब कांग्रेस में हुई बगावत के नतीजे के तौर पर 18 सितंबर को कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद, 20 सितंबर को चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि, उनके मंत्रिमंडल में अपनी राय को तरजीह न मिलने से नवजोत सिंह सिद्धू नाराज बताए जा रहे थे।

सिद्धू की नहीं हो रही थी सुनवाई
नवजोत सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर को कुर्सी से हटाने के लिए पूरा जोर लगाया। माना गया कि पर्दे के पीछे रहकर सिद्धू ने पूरा खेल खेला। कैप्टन के बाद सिद्धू चाहते थे कि वो कैप्टन की जगह मुख्यमंत्री बनें। हालांकि हाईकमान की पसंद सुनील जाखड़ को बनाना चाहते थे। इसलिए सिद्धू पीछे हट गए। इसके बाद कुछ विधायकों ने सिख स्टेट-सिख सीएम का मुद्दा उठाया। जिसके बाद सुखजिंदर रंधावा का नाम चलने लगा। यह देख सिद्धू ने कहा कि अगर जट्‌ट सिख को सीएम बनाना है तो फिर उन्हें बनाया जाए।कांग्रेस हाईकमान इसके लिए राजी नहीं हुआ तो वो गुस्से में पर्यवेक्षकों और पंजाब इंचार्ज हरीश रावत वाले होटल से चले गए। यहां तक कि उन्होंने मोबाइल भी स्विच ऑफ कर लिया। इसके बाद रंधावा की जगह चरणजीत चन्नी सीएम बन गए।

चन्नी के साथ चले तो सुपर सीएम कहा जाने लगा
इसके बाद सिद्धू चन्नी के साथ चलने लगे। हालांकि उन पर आरोप लगा कि वह सुपर सीएम की तरह व्यवहार कर रहे हैं। इसके बाद सिद्धू को पीछे हटना पड़ा। माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान की तरफ से सिद्धू को इस बारे में टोका गया था। इसी वजह से वो पिछले कुछ दिनों से अलग हो गए थे।

4 चेहरों को मंत्री बनाने के विरोध में थे सिद्धू
माना जा रहा है कि चन्नी सरकार में सिद्धू 4 चेहरों के विरोध में थे। सिद्धू का तर्क था कि उन पर पहले ही दाग लगे हुए हैं, इसलिए उन्हें शामिल नहीं किया जाए। इसके बावजूद उनका विरोध दरकिनार हो गया।सिद्धू ने एडवोकेट डीएस पटवालिया को पंजाब का नया एडवोकेट जनरल बनाने की सिफारिश की। इसके बावजूद अब एपीएस देयोल पंजाब के नए एजी बन गए हैं। सिद्धू डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा को गृह विभाग देने के पक्ष में नहीं थे। वो चाहते थे कि CM चरणजीत चन्नी इसे अपने पास रखें। इसके बावजूद सिद्धू की नहीं सुनी गई। होम मिनिस्ट्री रंधावा को दे दी गई।

 

 

पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रदेश कांग्रेस के प्रधान पद से अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। कल तक सिद्धू 2022 में पंजाब में कांग्रेस को सत्ता दिलाने का दम भर रहे थे। आज अचानक कुर्सी छोड़ दी।

असल में सिद्धू का यह इस्तीफा अचानक नहीं है। इसकी कहानी कैप्टन के कुर्सी से हटते ही शुरू हो गई थी। सिद्धू असल में कांग्रेस को कैप्टन की तरह चलाना चाहते थे। वह संगठन से लेकर सरकार तक सब कुछ अपने कंट्रोल में चाहते थे। ऐसा हुआ नहीं और सिद्धू को स्थानीय नेताओं से लेकर हाईकमान तक की चुनौती से गुजरना पड़ा। इस वजह से सिद्धू करीब सवा 2 महीने में ही कुर्सी छोड़कर चले गए।

यहां से शुरु हुआ नाराजगी का दौर

  • कैप्टन अमरिंदर के हटने के बाद सिद्धू खुद CM बनना चाहते थे। हाईकमान ने सुनील जाखड़ को आगे कर दिया। सिद्धू मन मसोस कर रह गए। वो राजी हुए तो पंजाब में सिख CM ही होने का मुद्दा उठा। सिद्धू ने फिर दावा ठोका, लेकिन हाईकमान ने उन्हें नकारकर सुखजिंदर रंधावा को आगे कर दिया। इसके बाद सिद्धू नाराज हो गए। अंत में चरणजीत चन्नी CM बन गए।
  • चन्नी के CM बनने के बाद सिद्धू उनके ऊपर हावी होना चाहते थे। सिद्धू लगातार उनके साथ घूमते रहे। कभी हाथ पकड़ते ताे कभी कंधे पर हाथ रखते। इसको लेकर सवाल होने लगे कि सिद्धू सुपर CM की तरह काम कर रहे हैं। आलोचना होने लगी तो सिद्धू को पीछे हटना पड़ा।
  • चन्नी के CM बनते ही सिद्धू चाहते थे कि एडवोकेट डीएस पटवालिया पंजाब के नए एडवोकेट जनरल हों। उनकी फाइल भी भेज दी गई थी। इसके बाद दूसरे नेताओं ने अड़ंगा लगा दिया। पहले अनमोल रतन सिद्धू और फिर एपीएस देयोल को एडवोकेट जनरल बना दिया गया।
  • चन्नी सरकार में सिद्धू अपने करीबियों को मंत्री बनवाना चाहते थे। इसमें सिद्धू की मनमानी नहीं चली। कैप्टन के करीबी रहे ब्रह्म मोहिंदरा, विजयेंद्र सिंगला से लेकर कई विधायक वापस लौट आए। इसके अलावा राणा गुरजीत पर रेत खनन में भूमिका के बावजूद उन्हें मंत्री पद दिया गया। ऐसे ही 4 नामों को लेकर सिद्धू नाराज थे। इन्हें रोकने में उनकी नहीं चली।
  • कांग्रेस हाईकमान ने मंत्रियों के नाम पर अंतिम मुहर लगाने के लिए बुलाई बैठक में सिर्फ चरणजीत चन्नी को बुलाया। सिद्धू को इसमें शामिल नहीं किया गया। सिद्धू की बताई लिस्ट को हाईकमान ने फाइनल नहीं किया। इसकी वजह से वो नाराज हो गए।
  • सिद्धू चाहते थे कि सिद्धार्थ चट्‌टोपाध्याय को पंजाब का नया DGP बनाया जाए। इसके लिए पूरी खेमेबंदी भी शुरू हो गई थी। इसके बावजूद दिनकर गुप्ता छुट्‌टी पर गए तो चन्नी ने इकबालप्रीत सिंह सहोता को डीजीपी का चार्ज दे दिया।
  • सिद्धू चाहते थे कि राज्य का गृह विभाग CM चरणजीत चन्नी के ही पास रहे। इसके बावजूद मंत्रालय बंटवारे में होम मिनिस्ट्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को दे दी गई। इसके बाद सिद्धू का सब्र टूट गया। उन्होंने दोपहर होते-होते इस्तीफा दे दिया।

कैबिनेट की पहली बैठक में नहीं आए थे सिद्धू
कांग्रेस में यह परम्परा रही है कि जब भी कांग्रेस की सरकार बनती है तो कैबिनेट बैठक से पहले प्रधान को भी वहां बुलाया जाता है। रविवार को 15 मंत्रियों ने शपथ ली। इसके बाद सोमवार को CM चरणजीत चन्नी ने पूरी कैबिनेट की बैठक बुलाई। इसके बावजूद सिद्धू वहां नहीं पहुंचे। इस वजह से उनकी नाराजगी सामने आ गई।

अगले चुनाव में भी पक्की नहीं थी CM की कुर्सी
सिद्धू ने कांग्रेस हाईकमान पर दबाव डालकर सुखजिंदर रंधावा को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया। सिद्धू जानते थे कि अगर रंधावा CM बने तो वो अगले साल कांग्रेस का चेहरा नहीं होंगे। चरणजीत चन्नी के सहारे वो अगली बार कुर्सी पाने में कामयाब होने की उम्मीद में थे।

हरीश रावत के जरिए उन्होंने यह बात भी कही कि अगला चुनाव सिद्धू की अगुआई में लड़ा जाएगा, तब विवाद शुरू हो गया कि यह तो पंजाब के CM चरणजीत चन्नी की भूमिका पर सवाल खड़े करने जैसा है। इसके बाद हाईकमान को सफाई देनी पड़ी कि अगले चुनाव में सिद्धू के साथ चन्नी भी चेहरा होंगे। सिद्धू समझ गए कि अगली बार कांग्रेस सत्ता में आ भी गई तो उनके लिए CM की कुर्सी पाना इतना आसान नहीं है।

 

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